साइकिल पे आया सपने वाला
साइकिल पे आया एक भईया, जिसने पहना सफेद धोती और कुर्ता, पगड़ी उसकी कभी लाल कभी नीली, हर दिन रंग बदलती सपने बेचता रंग बिरंगे; इंद्रधनुषी, गुलाबी गुब्बारों मे आवाज़ लगाता "सपने ले लो सपने..... नेया" बच्चे बड़े सब बाहर आ जाते, गोला बना उसको पूछते , कितने में है ये सपने? वो कहता ,"पहले सपने तो बताओ फिर दाम भी बता दूंगा, अगर हुआ तो मुफ्त भी कर दूंगा!!" बच्चे बड़े सब खुश हो जाते। फिर बच्चे बोलते, मुझे चाहिए एक सपना जिसमे दोस्तो संग में खेलूं दिन रात क्रिकेट अपना, फिर भी मम्मी से मिले प्यार ओर पापा से ना पड़े मार फिर दूसरा बोला, मुझे चाहिए एक सपना जिसमे मेरे पास हो बहुत सारा खिलौना, नाचता बंदर, तेज चलती कार, गुड़िया हो बेशुमार, फिर बड़े बोले मुझे चाहिए एक सपना जिसमे मै जाऊं वादिओं के पार, घर हो वहां मेरा, ना गाड़ियों का हो शोर ना हो काम मेरा, बैठे चुस्की लूँ चाय की और सो जाऊँ बेशुमार। किसी ने कहा जाना डिजनीलैंड, किसी कहा जाना चांद के पार । गुब्बारे वाला बोला," हाँ हाँ! ले लो सपना कैसा - जैसा भी, सपने ही तो देने आया।", "एक दिन जी सकोगे सपना अप...