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Showing posts from September, 2020

साइकिल पे आया सपने वाला

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साइकिल पे आया एक भईया, जिसने पहना सफेद धोती और कुर्ता, पगड़ी उसकी कभी लाल कभी नीली, हर दिन रंग बदलती सपने बेचता रंग बिरंगे; इंद्रधनुषी, गुलाबी गुब्बारों मे आवाज़ लगाता "सपने ले लो सपने..... नेया" बच्चे बड़े सब बाहर आ जाते, गोला बना उसको पूछते , कितने में है ये सपने? वो कहता ,"पहले सपने तो बताओ फिर दाम भी बता दूंगा, अगर हुआ तो मुफ्त भी कर दूंगा!!" बच्चे बड़े सब खुश हो जाते। फिर बच्चे बोलते, मुझे चाहिए एक सपना जिसमे दोस्तो संग में खेलूं दिन रात क्रिकेट अपना, फिर भी मम्मी से मिले प्यार ओर पापा से ना पड़े मार फिर दूसरा बोला, मुझे चाहिए एक सपना जिसमे मेरे पास हो बहुत सारा खिलौना, नाचता बंदर, तेज चलती कार, गुड़िया हो बेशुमार, फिर बड़े बोले मुझे चाहिए एक सपना जिसमे मै जाऊं वादिओं के पार, घर हो वहां मेरा, ना गाड़ियों का हो शोर ना हो काम मेरा, बैठे चुस्की लूँ चाय की और सो जाऊँ बेशुमार। किसी ने कहा जाना डिजनीलैंड,  किसी कहा जाना चांद के पार ।  गुब्बारे वाला बोला," हाँ हाँ! ले लो सपना कैसा - जैसा भी, सपने ही तो देने आया।", "एक दिन जी सकोगे सपना अप...

Book Dairy #1

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I am writing this blog to make a peace with myself to get a feeling of  satisfaction  of completing a task from my checklist..  It was bothering me inenvitabily from a month but right now i feel i can share my journey with people in bits and pieces.. i.e how i am dealing with stress, depression, anxiety, sadness, loneliness...  This words are not just fine feelings but problems to deal with it which i know many people must be dealing better than me...  But one's journey cannot be compared with other one...   To start with i can say from past a month i was just laying down on bed and was doing nothing other then my day to day course i.e binge watching netflix all day along, Eating my favourite food to feel good, applied for jobs with no luck,  joined online workout classes for 20 days but completed only 14 with zero results...  Which i dont feel like doing it any more... Zero motivation Its hard to push yourself to move when u dont feel...